भारत को जब 1947 में आजादी मिली तब भारत के सामने सबसे कई सारी बड़ी चुनौतिया थी
दोस्तों !
भारत को जब 1947 में आजादी मिली तब भारत के सामने सबसे कई सारी बड़ी चुनौतिया थी और उनमे से एक थी भारत की आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए जो बुनियादी ढांचे और पूंजीगत वस्तुएँ है उनको मजबूत आधार प्रदान करने हेतु आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाय ।
दोस्त्रों ! आप सबने ISRO की story विडियो पर बहुत प्यार दिया जिससे हमे बहुत मोटिवेशन मिला अपना साथ हमारे साथ इसी तरह बनाये रखिये जिससे इस तरह की जानकारी हम आपके के लिए लाते रहे आपसब के प्यार और support के लिए तहे-दिल से शुक्रिया
तो आप सभी की demand पर आज की कहानी में मैं बात करने वाला हूँ की किस तरह से भारत BHEL की स्थापना से दुनिया भर में 193GW+ Gigawatt बिजली उत्पादन के लिए उपकरण स्थापित करके चुनिंदा वैश्विक दिग्गजों के एक विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है। बीएचईएल ने पिछले कुछ वर्षों में बाजार में अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखी है।
इसी के साथ मैं बात करूँगा की
तो विडियो में आखिर तक बने रहिएगा, हर विडियो मैं बहुत रिसर्च के साथ लाता हूँ ताकि आपलोगों को सही और सटीक जानकारी मिले और channel को subscribe करके इस विडियो को जगह जगह शेयर कर दीजियेगा तो भारत के इस जज्बे और गौरव को सलाम करते हुए करते है
विडियो की शुरुआत ! जय हिन्द
इस कहानी की शुरुआत करने से पहले मैं आपसभी को भारत में फैले BHEL के व्यापक नेटवर्क के बारे में बता दूं जिससे आपसभी को ये एहसास हो सके की भारत आज किस कदर विद्युत् ऊर्जा उत्सर्जन के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ देशों में से एक है
आज भारत में BHEL के -
16 manufacturing plants
2 repair units
4 regional offices
8 service centres
15 regional marketing centres
3 overseas offices and more than
150 project sites
Footprints in 86 countries
across 6 continents
BHEL द्वारा थर्मल, हाइड्रो, न्यूक्लियर और गैस आधारित बिजली संयंत्रों में 1000 से अधिक उपयोगिता सेट स्थापित किए गए
BHEL कुल स्थापित पारंपरिक विद्युत उत्पादन में 53% योगदान देता है
दोस्तों ! कहानी शुरू होती है भारत की आजादी के समय से जब उस वक्त आजाद भारत के सबसे पहले प्रधान मंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के विकास की नीव रखते हुए उसके उज्जवल भविष्य के लिए कई कदम बढ़ाये चाहे वो अंतरिक्ष अनुसंधान, रक्षा अनुसंधान , या फिर ऊर्जा अनुसंधान के क्षेत्र में हो |
देश के भविष्य के हित में उनके इन्ही सतत प्रयासों के वजह से सरकारों को उनके शासन काल में इस बात का एह्साह हुआ की भारत के सतत आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा विनिर्माण आधार और तकनीकी रूप से योग्य पर्याप्त कर्मियों का होना अत्यधिक आवश्यक है।
देश के योजनाकारों ने इस बात को भी पहचाना कि लंबी अवधि के औद्योगिक विकास के लिए विद्युत शक्ति की पर्याप्त आपूर्ति पहली अनिवार्यता थी।
और इस अनिवार्यता को केवल एक मजबूत घरेलू विद्युत उपस्कर उद्योग (Household Electrical Appliances Industry) द्वारा ही बनाए रखा जा सकता था। और तब जाकर योजना आयोग ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए आवश्यक सभी प्रकार के भारी विद्युत उपस्करों के निर्माण के लिए कारखाने की स्थापना हेतु कदम उठाने की सिफारिश की।
जिसके परीणामस्वरूप, भारत सरकार ने भारत में भारी विद्युत उपस्करों के निर्माण के लिए सबसे पहले भोपाल में एक कारखाने की स्थापना के लिए (AEI) Associated Electrical Industries, के नाम से ब्रिटेन के साथ 17 नवंबर, 1955 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किया ।
AEI को 29 अगस्त, 1956 को उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र में हेवी इलेक्ट्रिकल्स (इंडिया) लिमिटेड (HEIL) के रूप में पंजीकृत किया गया ।
और उसी सदी के अंत तक 1,00,000 मेगावाट तक बिजली उत्पादन के लिए देश में स्थापित क्षमता को बढ़ावा देने का संकल्प लिया जिसमे , 100 फीसदी यह संभावना थी की भारत सरकार द्वारा तैयार की जा रही पाँच-वर्षीय योजनाओं में बिजली उत्पादन क्षमता की मांग में पर्याप्त वृद्धि होगी । और इसी संभावना, इसी उम्मीद को ध्यान में रखते हुए सरकार ने भारी विद्युत उपस्करों के निर्माण के लिए तीन और करखानों की स्थापना के लिए निर्णय लिया।
2nd Paragraph
इनमे पहला संयंत्र/Plant तिरुचिराप्पल्ली (तमिलनाडु) में उच्च दबाव बॉयलर के लिए,
दूसरा संयंत्र/Plant हैदराबाद (तेलंगाना) में स्टीम टर्बो जनरेटर, उच्च दबाव पंप और कंप्रेसर के लिए,
और तीसरा संयंत्र बड़े भाप टर्बो जनरेटिंग सेट , मोटर्स , टर्बाइन तथा जेनरेटर सहित हाइड्रो जनरेटिंग सेट के लिए USSR सहभागिता के साथ हरिद्वार (उत्तराखंड) में स्थापित किया गया।
ये तीन नई परियोजनाएं हेवी इलेक्ट्रिकल्स इंडिया लिमिटेड/Heavy Electricals India Limited (HEIL) का हिस्सा थीं, जिनके लिए भोपाल में काम शुरू किया गया थाऔर ये सभी प्रारंभिक कार्य भोपाल से ही नवंबर 1964 तक किए गए।
सरकार ने इन तीन इकाइयों की स्थापना और प्रबंधन के लिए एक अलग निगम बनाने का फैसला किया। इस प्रकार, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड अस्तित्व में आया और औपचारिक रूप से 13 नवंबर, 1964 को निगमित/Incorporated किया गया।
BHEL का पहला कोयला-आधारित सेट 1969 में तमिलनाडु के बेसिन ब्रिज में स्थापित किया गया था।
भोपाल संयंत्र के साथ-साथ इन तीन नए सयंत्रो की प्रौद्योगिकियों में पूरकता के साथ-साथ काफी ओवरलैप भी था।
आगे चलकर यह महसूस किया गया की निगमों के एकीकरण से ये साथ मिलकर काम करेंगे और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा। तो सरकार ने सोचा की क्यों न इन दोनों कम्पनियों को मिलाकर एक कंपनी बना दी जाय जिससे यह बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा/ Global competition का सामना करने में भी सक्षम हो सके ।
उचित विचार-विमर्श के बाद, 1972 में भारत सरकार ने दोनों निगमों को मिलाकर एक करने और वास्तव में आधुनिक वैश्विक उद्यम बनाने का फैसला किया और इस वजह से HEIL और BHEL जनवरी 1974 में औपचारिक रूप से आपस में merge हुई
विलय की गई कंपनी, बीएचईएल ने 30 मेगावाट से 210 मेगावॉट तक के थर्मल जनरेटिंग सेट के हाईड्रो उत्पादन संयंत्रों और 400 केवी रेटिंग तक ट्रांसमिशन उत्पादों के निर्माण के लिए व्यवस्थित रूप से अपनी सुविधाओं को अपग्रेड किया । बीएचईएल अपने 45,000 प्रशिक्षित और अनुभवी तकनीशियनों और इंजीनियरों की टीम के साथ, वर्ष 1973-74 तक 230 करोड़ रुपए के कारोबार स्तर तक पहुंच गया।
शुरूआती वर्षों में ही, बीएचईएल को एहसास हो गया था कि भविष्य में व्यावसायिक विकास केवल सिस्टम एकीकरण और सेवा क्षमता विकसित करके ग्राहक को संपूर्ण सेवा प्रदान करने से ही हो सकता है। दोनों निगमों के सफल एकीकरण ने भविष्य की चुनौतियों को पूरा करने के लिए एक मजबूत इंजीनियरिंग उद्यम बनाया।
यह बीएचईएल के इतिहास में एक बड़ा कदम था और तेजी से वृद्धि और विकास के लिए संगठन को मजबूत बनाया गया।इसने वास्तव में वैश्विक उद्यम बनाने की नींव रखी और यह भारत के कॉर्पोरेट इतिहास में एक लैंडमार्क था।
योजना के मुताबिक, दूसरी पीढ़ी की में उन 3 विनिर्माण इकाइयों को झांसी में ट्रांसफॉर्मर फैक्ट्री, हरिद्वार में केंद्रीय फाउंड्री फोर्ज प्लांट और तिरुचिराप्पल्ली में सीमलेस स्टील ट्यूब प्लांट के रूप में स्थापित किया गया
BHEL ने सरकारी निर्देशों के अनुरूप परमाणु ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों, उद्योगों और भारतीय रेलवे समेतवि द्युत स्टेशनों के लिए जनरेटिंग और ट्रांसमिशन उपकरण की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। ने 400 केवी तक विद्युत ट्रांसमिशन के लिए उच्च वोल्टेज उपकरण और वैश्विक रुझानों को ध्यान में रखते हुए जनरेशन उपस्करों की रेटिंग में वृद्धि की योजना बनाई गई ।
210 मेगावाट से 1000 मेगावाट तक के थर्मल जनरेटिंग सेट की डिजाइन और प्रौद्योगिकी के लिए मॉड्यूलर सिद्धांतों के आधार पर डिजाइन और निर्माण के लिए 1974-75 में जर्मनी के क्राफ्टवर्क यूनियन (KW) के साथ मिल कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था।
इन प्रयासों ने बीएचईएल को देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए कठिन और अति आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम बनाया। बीएचईएल ने परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के लिए जरुरी भाप जनरेटर और अन्य उपकरणों को अपने दम पर विकसित कर परियोजनाओं को नियोजित रूप से जारी रखने में मदद की।
70 के दशक में जब ऑयल शॉक जैसी संकट की स्थिति आई तब भी देश की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं के लिए BHEL ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया
,1970 के दशक तक, यह जान लिया गया कि संगठन के भीतर प्रबंधकीय प्रतिभा और भविष्य के लीडरों को विकसित करना अनिवार्य था।
80 का दशक BHEl के लिए बाजार अनुकूलन का एक चरण था जहाँ BHEL को विदेशी प्रतिस्पर्धा में वृद्धि का सामना करना पड़ा। बीएचईएल के व्यावसायिक प्रचालन को व्यापार क्षेत्रों के आसपास पुनर्गठित किया गया था।
90 के दशक में बीएचईएल की 14 वीं विनिर्माण इकाई, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिवीजन (ESD) की स्थापना बैंगलोर में हुई थी। इसी दशक के कॉर्पोरेट प्लान ने BHEL को हर तरह के व्यापारिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया उच्च क्षमता को देखते हुए, बीएचईएल ने पवन ऊर्जा, एचवीडीसी पावर ट्रांसमिशन और सुपरकंडक्टिविटी की सीमांत तकनीक के क्षेत्र में प्रवेश किया इस दशक में बीएचईएल ISO 9000 और ISO 14000 की मान्यता प्राप्त करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की पहली कंपनी बन गई।
आज के समय में, प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बीएचईएल ने राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वदेशी डिज़ाइन, विकास और विनिर्माण के सम्पूर्ण तंत्र कर लिए है और राष्ट्र को विद्युत और उद्योग के क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य के प्रति स्वयं को पुनःसमर्पित कर दिया है।
विद्युत उपस्करों के अपने मौजूदा मुख्य व्यवसाय के अलावा, बीएचईएल रक्षा, एयरोस्पेस, शहरी गतिशीलता (अर्बन मोबिलिटी) और रेल परिवहन जैसे नए क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप क्षमताओं का निर्माण कर रहा है। भविष्य में, कोयला गैसीकरण के अलावा हाइड्रोजन वैल्यू चेन और कार्बन कैप्चर जैसी उभरती हुई ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर आधारित व्यापार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए कंपनी खुद को समुचित रूप से तैयार कर रही है। कोयला गैसीकरण के लिए बीएचईएल पहले ही उच्च राख वाले भारतीय कोयले का उपयोग कर स्वदेशी तकनीक विकसित कर चुका है।
तो देखा आप सभी ने भारत ने खुद को किस तरह से कठिनाइयों के बावजूद अन्य सभी देशों के बिच खुद को खडा किया
तो दोस्तों किस्सी लगी ये BHEL की Journey
और अब बात करते है अपने दुसरे फेज की जिसमे detail में ये जानेंगे की क्या career opportunity के बारे में
दोस्तों BHEL में ITI/Diploma/BTech छात्रों के लिए कई सारे पदों पर vacancy आती है जिसमे मुख्या पद है
Post Name Qualification
Graduate Apprentice B.E/B.Tech(8563-9519/-)
Trade Apprentice ITI Pass (7593 – 8302/-)
Project Supervisor Diploma (32000-100000/-)
Engineer Trainee B.E/B.Tech (50000-160000/-)
Executive Trainee B.E/B.Tech, Any PG, M.B.A/P.G.D.M, C.A (50000-160000/-)
Technician ITI Pass (25000-30000/-)
BHEL Exam Pattern 2023
Duration : 120 Minutes
S.No |
Subject |
No.of Question |
Marks |
1 |
Professional Knowledge |
50 |
50 |
2 |
Logical Reasoning |
25 |
25 |
3 |
Numerical Ability |
25 |
25 |
4 |
English |
25 |
25 |
5 |
General Awareness |
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Total |
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