ISRO Full Journey Story & Detail About Career Opportunity for ITI, Diploma, B.Tech
दोस्तों ! india आज भले ही कई दुसरे superpower Domain में दुसरे नम्बर पर आता है लेकिन space रिसर्च के क्षेत्र में इसने आज पूरी दुनिया से अपना लोहा मनवा लिया है और यही वजह है की आज भारत के सामने किसी भी शक्तिशाली देश की आँख उठाने की भी हिम्मत नहीं होती लेकिन india आज जिस मुकाम पर खडा है उस सफ़र की शुरुआत इतनी आसान नहीं थी | अपने पहले satellite को साइकिल पर ले जाने से लेकर अपने पहले ही प्रयास में मंगल गृह पर पहुचने की कहानी हमे भारतीय होने पर गर्व कराती है
तो आज की इस ब्लॉग में मैं मुख्य रूप से बताऊंगा की –
अब आप में से कई सारे छात्र कहेंगे की अरे सर कहानी बताने से क्या फायदा, सीधे मेन टॉपिक की बात कीजिये न तो मैं बता दू की इस कहानी को बताने का मकसद है की आपको ये एहसास हो जाए की किस तरह ISRO अपने Technological backwardness और fund crunches के बावजूद आज विश्व की best space research agency है उसी तरह आपके दिल में वो जूनून पैदा हो ताकि किसी भी मुश्किल हालत में आप ISRO जैसे गौरवानित जगह पर अपना करियर बनाने कोई कसर न छोड़े और एक माध्यम वर्गीय परिवार का लड़का परिवार समाज और देश में अपनी पहचान और इज्ज़त बना सके |
तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए आप सभी इस channel को subscribe कर अपना प्यार और साथ दें और विडियो को जगह जगह शेयर कर अपनी Institute Gate की इस फॅमिली को बड़ी करे क्योकि जितनी बड़ा आपका साथ होगा उतनी बड़ी हमारी हिम्मत होगी और comments में मुझे जरुर लिखिए की कैसा लगा आपको ये Blog ,
तो फिर चलिए करते शुरुआत !!!!!!!!!!!!!!!!!
दोस्तों ! भारत जब अपनी Food necessary (खाद्य जरूरतों) को भी पूरा नहीं कर पा रहा था उस वक्त विक्रम साराभाई, पंडित नेहरु तथा होमी जहांगीर भाभा द्वारा space रिसर्च की बात सोच कर राकेट लांच करना अन्य देशों के लिए मजाक तथा भारत के लिए किसी बहुत बड़ी महत्वाकांक्षा से कम नहीं था
!! लेकिन वो कहते है न की लोग हसते है जब आप इतिहास रचते है !!
अपनी इसी महत्वाकांक्षा को ध्यान में रखते हुए 1963 में india ने साईकिल पर NASA द्वारा बनाए गये राकेट Nike Apache को ले जाकर तिरुअनंतपुरम के एक चर्च से लांच किया और 51 साल बाद 2014 में india एशिया का एक मात्र ऐसा देश बना जो सबसे कम बजट में अपने पहले प्रयास में मंगल पर जा पहुंचा और ये दोनों वो स्थितियां है जो हमारे देश के द्वारा किये गये struggle, development, और achievement को दिखाती है लेकिन साईकिल से मार्स मिशन का ये सफ़र बहुत मुश्किलों से भरा था जिसे आसान बनाया ISRO ने |
Indian Space Research Organization, वैसे तो ISRO के achievement को देख कर लगता है की ये Impossible Space Research Organization है जिसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं |
ISRO India की नेशनल space एजेंसी है जिसका headquarter बंगलुरु में है | 15 अगस्त 1969 के दिन found इस organization ने india के space program को दुनिया का best space program बना दिया है
आज Indian में isro ने अपने कुल 19 शाखाएं स्थापिर की है जो इसे space research development के अलग अलग सेक्टर में इसकी सहायता करती है
दोस्तों! भारत की आज़ादी के समय ही USA और USSR के बीच शीत युद्ध छिड़ गया था जिसमे कई सारे technological advancement किये थे जिसमे space Race सबसे मुख्य था इसी space race के दौरान USSR ने world का पहला Artificial Satellite Sputnik-1 1957 में लांच किया और उस वक्त india अपने आर्थिक कमजोरियों से घिरा हुआ था लेकिन उस आर्थिक तंगी के बावजूद पंडित नेहरु ने देश के विकास में science and technology का महत्वपूर्ण योगदान समझते हुए 1958 में Scientific resolution policy parliament में पास की जो आने वाले सामय में scientist के service condition को better करते हुए उन्हें honest position provide करेगी
शुरुआत में, पंडित नेहरु ने space research और outer space exploration करने के task को DEA को सौप दिया जिसका नेतृत्व भारत के वरिष्ठ परमाणु भौतिक विज्ञानी (India’s senior nuclear physicist) Dr. होमी जहांगीर भाभा कर रहे थे
Dr. होमी जहांगीर भाभा ने 1962 में विक्रम साराभाई की chairmanship में INCOSPER (Indian National Committee for space research ) का गठन किया
दोस्तों ! ISRO के संस्थापक विक्रम अम्बालाल साराभाई India के leading physicist and astronomer थे जिन्होंने भारत में space research की शुरुआत की और उसके बाद केरला के thumba Equatorial Rocket launching station से कई sounding राकेट लांच किया इस वक्त सबसे रोचक बात यह थी की india के पास किसी भी तरह की ख़ास space technology या infrastructure नहीं थी और 1962 के india-china युद्ध में food shortage clash आया और यही वो वक्त था जब हम अपने food के लिए भी import पर निर्भर हुआ करते थे
विक्रम साराभाई ने 1963 में thumba Equatorial Rocket launching station के पास SSTC (Space Science Technology Center) की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य rocket system और component का development करना था क्योकि उन्हें देश की अपनी business satellite capability build करनी थी और इस तरह SSTC में PSLV और GSLV राकेट का बीज बोया गया
इंद्रा गाँधी द्वारा 15 अगस्त 1969 के दिन INCOSPER का नाम बदलकर ISRO किया गया पहले ये DAE (Department of Atomic Energy) के तहत रखा गया और फिर 1972 में Department of Space के नाम से एक separate wing create करके रखा गया
ISRO ने USSR के INTERCOSMOS program की मदद से 1975 में अपनी पहली satellite Aryabhatta space में लांच की और india अपनी SLV develop करने में कामयाबी हासिल की और 1980 में world की 7th country बनते हुए उसने rohini series 1 को earth के orbit में भेजने में कामयाबी हासिल की जिसका श्रेय जाता है DR A P J Abdul कलम को जो इस project के डायरेक्टर थे इसके बाद india ने कई space development किये जिसमे isro ने liquid fuel rocket engine और solid fuel rocket engine पर काम करना शुरू किया जिससे geo stationary orbit में satellite पहुचाई जा सके इसके बाद isro ने 23 satellite लांच किये जिससे india ने
अब बात करे isro के major achievements की तो
Isro को major achievements तब मिला जब 1990 में PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) का developments हुआ और जिसकी मदद से 2008 में india ने चंद्रयान-1 मिशन लांच किया |और इसी लांच से moon पर water के presence की discovery हुई जिसने दुनिया के कई space organization को एक नई दिशा दी | isro ने 1982 से 1992 के बीच PSLV के development पर काम किया
और ये जानकार भी आपको हैरानी होगी की इसी PSLV ने मंगलयान मिशन को पहले ही प्रयास में पूरा किया जो space रिसर्च की दुनिया में एक इतिहास बन गया और जिसमे india विश्व का पहला ऐसा देश बना जो जिसने अपने पहले ही प्रयास में mars के orbit तक पहुचने का कीर्तिमान हासिल किया
इसी PSLV rocket की मदद से india ने 2008 में चंद्रयान 1 मिशन लांच किया जिसने चाँद पर water के presence की discovery की जिसने दुनिया भर के space organization को एक नई दिशा दी |
2017 में PSLV की ही मदद से एक दुसरा विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए ISRO ने 104 satellite पहुचाई थी लेकिन PSLV के शुरूआती लांच से पहले isro के वैज्ञानिक जानते थे की PSLV एक समय के बाद space रिसर्च की need को full fill नहीं कर पायेगा क्योंकि आज के modern communication satellite 2000 kg के वजन से अधिक हो चुके है जिसके वजह से isro ने GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) rocket का development किया, शुरुआत में GSLV ने PSLV के pattern को follow किया लेकिन आगे चलकर GSLV के लिए cryogenic engine का development किया जिससे GSLV को एक नई दिशा दी और इसी engine की मदद से हम आज Human space मिशन plan कर रहे है और इसी engine की बदौलत आज हम दुनिया के उन देशों में से एक है जिनके पास अपनी खुद की cryogenic engine technology है
ISRO ने 1983 में INSAT-1B के लांच के समय ही खुद का national satellite system developed कर लिया INSAT आज indopecific region का सबसे बड़ा domestic communication system है जिसने –
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने जब भारत को GPS technology share करने से इनकार कर दिया तो india ने खुद का navigation system को develop जिया जिसका नाम IRNSS (Indian regional navigation satellite system) है जिसे NAVIC (Navigation with Indian Constellation ) के नाम से operate किया जाता है ये india के आसपास के 1500 km तक के क्षेत्र पर नज़र रखता है
IRNSS की मदद से Indian defense forces enemy को 5 मीटर की accuracy पर ट्रैक कर सकता है
ISRO द्वारा बनाए गये RISAT ( Radar IMAGING SATELLITE ) के द्वारा Indian defense forces आज Border Surveillance, insurgent Infiltration, Anti-Terrorist operation को करने में सक्षम है
Isro ने GSAT – 7 satellite की मदद से Indian Armed Force को ocean region में communication की facility provide की जिसमे मुख्य फोकस Indian नेवी पर रखा गया
GSAT – 7 ISRO द्वारा लांच किया गया 39वां satellite है जिसे केवल Indian Air Force और Indian army के लिए रखा गया है जिसकी 30 % capacity Indian Air Force और Indian army द्वारा use की जाती है
March 2019 में Indian ने अपनी पहली anti satellite लांच की जिसे DRDO के द्वारा बनाया गया और इसका नाम Mission-Shakti था
ISRO की सबसे ख़ास बात जो इसे सभी space research organization से अलग बनाती है और वो है इसकी low budget efficiency जिसका सबसे बड़ा एतिहासिक उदाहरण है मंगल मिशन जिसमे india ने केवल $74M किये वही नासा ने $671M खर्च किये , वही दूसरी तरफ Isro ने चंद्रयान मिशन भी एक Hollywood movie के budget में पूरा किया था
आप सभी जानते है की space रिसर्च एक costly program होता है और ISRO ने इसकी शुरुआत तब की थी जब Indian कई सारी crisis झेल कर रहा था पर बावजूद इसके isro ने space रिसर्च के क्षेत्र को एक नई दिशा दी है
दोस्तों isro आज space race की नई technology जैसे quantum communication, Humanoid Robot, self maintain satellite develop कर रहा है और अभी हाल ही में ही ISRO ने 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 को लांच किया है जो isro को Nasa और Intercosmos से भी आगे ले जाएँगी
तो कैसी लगी isro की ये journey comment सेक्शन में मुझे जरुर बताइयेगा
अब बात करते है की एक माध्यम वर्ग के छात्र के लिए isro क्या career opportunity देता है
Career opportunity
Technician-B
Sl No. |
Post |
Level in the Pay Matrix Rs. |
Eligibility Criteria |
Upper Age Limit(UR) |
Selection Methodology |
Career Prospects |
1 |
Technician-B |
L-3 (21700 - 69100) |
SSLC Pass + ITI / NTC / NAC from NCVT (minimum two years course) |
35 |
Written Test + Skill Test (Selection will be based on Written Test Marks only. Skill test is only of qualifying nature). |
Can progress upto the post of Assistant Engineer in Level 12 (78800 - 209200) through Merit Promotion Scheme, subject to satisfactory performance. |
Technical Assistant
Sl No. |
Post |
Level in the Pay Matrix Rs. |
Eligibility Criteria |
Upper Age Limit (UR) |
Selection Methodology |
Career Prospects |
2 |
Technical Assistant |
L-7 (44900-142400) |
Diploma in Engineering with first class, from a State recognized Board, in the required discipline as per the job nature of the post in the Centre |
35 |
Written Test + Skill Test (curriculum based) (Selection will be based on Written Test Marks only. Skill test is only of qualifying nature.) |
Can progress upto the post of Technical Officer-SG in Level 13-A (131100-216600) through Merit Promotion Scheme, subject to satisfactory performance |
Engineer/Sientist-SC
Sl No. |
Post |
Level in the Pay Matrix Rs. |
Eligibility Criteria |
Upper Age Limit(UR) |
Selection Methodology |
Career Prospects |
1 |
Technician-B |
L-3 (21700 - 69100) |
BE/BTech with GATE score based recruitments: |
28 |
|
Can progress up to Distinguished Scientist in Level 16 (205400-224400) through Merit Promotion Scheme, subject to satisfactory performance. |
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