How to Become a DRDO Man

DRDO full case history

दोस्तों!  भारत आज किसी भी क्षेत्र में दुनिया से पीछे नहीं है और जब बात आती है रक्षा क्षेत्र की तो भारत ने आज एक से बढ़कर एक ऐसे-ऐसे missile बनाए है जिनसे दुश्मन को मुहतोड़ जवाब दिया जा सकता है लेकिन आजाद भारत के शुरूआती दौर से लेकर आज के शक्तिशाली भारत बनाने का सफ़र इतना आसन नहीं था 

और इसे आसान बनाया DRDO ने  यानी Defense Research Development organization जिसका मूल वाक्य है - "बलस्य मूलम् विज्ञानम्" – जिसका अर्थ है शक्ति का स्रोत विज्ञान है

दोस्तों आज इस विडियो में मैं बात करने वाला हूँ DRDO की journey और उसके वर्त्तमान स्थिति  के बारे में किस तरह DRDO आज भारत के रक्षा क्षेत्र का एक powerful wing है

हर विडियो की तरह इस विडियो में भी मैं 2 phase में बात करूँगा

Phase- 1 DRDO की पूरी कहानी और उसके साथ ये वर्त्तमान में किस तरह से भारत को रक्षा क्षेत्र में आगे ले जा रहा है

Phase-11  ITI/Diploma/B.Tech/Graduate छात्रों के लिए करियर के क्या अवसर है

साथ ही साथ DRDO में job selection process क्या है

Staff facility क्या है

मैंने कई विडियो में ये कहा है और फिर कह रहा हूँ की सभी PSU कंपनियों के बारे में विडियो बनाने का एक ही मकसद है आप उस कंपनी के बारे में पूरी तरह से जान पाए और अपने करियर के लिए सही फैसला ले पाए की क्या आप उस कंपनी में जा सकते है

तो भारत के इस हिम्मत को सलाम करते हुए करते है करें विडियो की शुरुआत ! चलिए फिर करते है शुरू !

दोस्तों आज भले ही हम सभी भारत के शक्तिशाली रक्षा इकाई को DRDO के नाम से पहचानते है लेकिन भारत की आजादी के समय इसकी शुरूआती स्थापना रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (DRDE) के नाम से हुई थी|

DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का अनुसंधान एवं विकास विंग है, जिसका headquarter new Delhi में है जहाँ से आज देश भर में 50 से अधिक प्रयोगशालाएं संचालित की जाती है जो भारत को निरंतर रूप से प्रौद्योगिकी और रक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में बहु-दिशात्मक रूप से विकसित कर रही है|

DRDO की journey तब शुरू होती है जब ग्वालियर के तत्कालीन महाराजा जीवाजी राव सिंधिया, जो कि ग्वालियर राज्य के शासक थे, उन्होंने जीवाजी औद्योगिक अनुसंधान प्रयोगशाला/Jivaji Industrial Research Laboratory (JIRL) नामक एक प्रयोगशाला बनाई। जिसका मूलभूत उद्देश्य था देश के रक्षा हित में उपयोगी आद्योगिक शस्त्रों का निर्माण एवं विकास |

JIRL का उद्घाटन 28 दिसंबर, 1947 को भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड अर्ल माउंटबेटन ने किया था।

डीआरडीओ की स्थापना 1958 में भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDE) और तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (DTDP) को रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के साथ मिलाकर की गई थी।

शुरूआती दौर में DRDO ने देश में सिर्फ 10 अलग-अलग प्रयोगशालाओं के साथ शुरुआत की

1960 में, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें विकसित करने की Indigo परियोजना DRDO की पहली बड़ी रक्षा परियोजना थी, जिसे आगे चलकर बिना किसी सफलता के बंद कर दिया गया ।

प्रोजेक्ट इंडिगो ने 1970 के दशक में कम दूरी की Surface-to-Air Missiles (SAM) और ICBM विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट वैलेंट के साथ प्रोजेक्ट डेविल का नेतृत्व किया।

1980 के दशक में ही प्रोजेक्ट डेविल के दौरान मिसाइलों की एक विस्तृत श्रृंखला के विकास के लिए, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत के राष्ट्रपति डॉ A p J Abdul Kalam की दूरदर्शिता में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) कार्यक्रम का विकास किया जो वास्तव में उनके ही दिमाग की उपज थी

डॉ A p J Abdul Kalam द्वारा निर्मित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना था

IGMDP को औपचारिक रूप से 26 जुलाई, 1983 में भारत सरकार द्वारा मंजूरी मिल गई जिसका प्रबंधन DRDO और Ordnance factory Board  द्वारा किया गया था।

IGMDP  ने रक्षा बलों द्वारा विभिन्न प्रकार की मिसाइलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखने के बाद, पांच मिसाइल प्रणालियों को विकसित करने की आवश्यकता को पहचानकर उनका निर्माण किया जो

Prithvi, Agni, Trishul, Akash और Nag के रूप में उभरकर आई जिसमे -

कम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है - पृथ्वी

मध्यम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है - अग्नि

कम दूरी की निम्न स्तरीय सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है - त्रिशूल

मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है - आकाश

तीसरी पीढ़ी की एंटी टैंक मिसाइल है – नाग

DRDO face challenges-

आगे चलकर डीआरडीओ के सामने कुछ प्रमुख चुनौतिया भी आई जिनका सामना DRDO को अपने वर्त्तमान समय में चल रही मिसाइल परियोजनाओं के अंतर्गत करना पड़ा  जिसमे -

पहला है - Budget Issue

2016-17 के दौरान SCoD (Standing Committee on Defense) ने अपर्याप्त बजट से संबंधित मुद्दों को सामने रखा, जिसका सामना चल रही DRDO Projects को करना पड़ा।

NDA सरकार के सत्ता में आने के बाद इसका समाधान किया गया और इसे बढ़ाया गया।

दुसरा है - ISRO vs DRDO

कई बार ऐसा हुआ है जब इसरो ने कुछ हॉलीवुड फिल्मों से भी कम लागत पर अपने मंगल मिशन जैसे मिशनों और परियोजनाओं को सफल साबित किया है।

दूसरी ओर, डीआरडीओ के नौकरशाही प्रशासन और समय के साथ विकसित होने में रक्षा मंत्रालय की विफलता की वजह से ISRO को DRDO की तुलना में सरकार की ओर से अधिक सहयोग मिलता है।

तीसरा है - Lack of Manpower

डीआरडीओ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपर्याप्त जनशक्ति और सशस्त्र बलों के साथ उचित तालमेल की कमी से भी जूझ रहा है।

DRDO नवीन विचारों और नई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास पर काम करने के बजाय पिछली प्रौद्योगिकियों के उपकरणों के साथ छेड़छाड़ कर रहा है।

डीआरडीओ के गठन के 60 साल बाद भी, भारत अभी भी अपने रक्षा उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2013-17 की अवधि में, भारत दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा उपकरण आयातक है, जो विश्व का कुल 12% है।

इन कमियों को दूर करने के लिए DRDO ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं जिसमे वह रक्षा परियोजनाओं के लिए software solution बनाने के लिए Tata Consultancy Services Limited   (TCS) जैसे IT company के साथ long term contract  पर विचार कर रहा है,

वर्तमान समय में, DRDO के पास कुल मिलकर 5000 से अधिक वैज्ञानिकों और लगभग 25,000 अन्य वैज्ञानिक, तकनीकी और सहायक कर्मियों का समर्थन प्राप्त है।

इसी के साथ DRDO  की आत्मनिर्भरता की खोज और अग्नि तथा  पृथ्वी श्रृंखला की मिसाइलों जैसे हल्के लड़ाकू विमान के रूप में - तेजस; मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर के रूप में - पिनाका; वायु रक्षा प्रणाली के रूप में - आकाश;  इत्यादि ने भारत की सैन्य शक्ति में भारी वृद्धि कर प्रभावी प्रतिरोध पैदा किया है और भारत को रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान किया है।

तो कैसी लगी drdo की ये कहानी मुझे chatbox में जरुर बताइए और अब बात करते है DRDO में छात्रों के लिए करियर opportunity की

DRDO आपको अलग-अलग category में Job opportunity provide करता है जिसे मैं आपको 2 phase में समझाऊंगा और आप यकीन मानिये इस video को देखने के बाद DRDO की vacancy, post, salary इत्यादि तमाम detail से सम्बंधित आपको कोई भी confusion नहीं रहेगा 

देखिये ! DRDO आपको 4 category में Job opportunity provide करता है (scientist ,Technical Staff, Admin & Allied, Research Fellow)

जिसके तहत 1st phase में हम जानेंगे Technical post की जिसमे हम बात करेंगे सबसे पहले scientist पद के लिए जो मुख्य रूप से  3 department के तहत आता है  जो DRDO, department of science & technology , Aeronautical  development agency है

Scientist पद के लिए essential Qualification B.Tech /B.E/ Master Degree के साथ GATE exam भी qualified होना जरुरी है और इसमें कुल 9 पद है जिनके नाम है –

Grade

Level in  Pay Matrix

Initial Pay in Pay Matrix

Scientist 'B'

Level 10

56,100/-

Scientist 'C'

Level 11

67,700/-

Scientist 'D'

Level 12

78,800/-

Scientist 'E'

Level 13

1,23,100/-

Scientist 'F'

Level 13A

1,31,100/-

Scientist 'G'

Level 14

1,44,200/-

Scientist 'H' (Outstanding Scientist)

Level 15

1,82,200/-

Distinguished Scientist (DS)

Level 16

2,05,400/-

Secretary, Department of Defense R&D and Chairman, DRDO

Level 17

2,25,000/-

 

अब बाते करेंगे subjects की यानी की scientist पद के लिए कौन कौन से subject या stream से छात्र apply कर सकते है तो इसमें कुल मिलकर लगभग 18 subject है जिसके नाम है  – (subjects को PPT slide पर दिखाना है )

Electrical Engg,  Material Science & Engg/Metallurgical Engg,  Physics,   Chemistry, Chemical Engg,  Aeronautical Engg, Mathematics, Civil Engg, Instrumentation Engg,  Material Science, Naval Architecture, Environmental Science & engineering, Atmospheric Science, Microbiology,

& Biochemistry

तो इन्ही subjects से B.Tech /B.E/ Master Degree में उत्तीर्ण उमीदवार scientist पदों के लिए आवेदन कर सकते है   

 

इसके बाद Technical post के तहत जो दूसरी vacancy है उसका नाम है Technical Staff जो DRDO के CEPTAM program के द्वारा संचालित की जाती है जिसमे मुख्य रूप   से 2 पदों पर vacancy आती है Technician & STA (Senior Technical Assistant)

Technical Staff के पद में Technician के पद के लिए essential qualification ITI तथा STA post के लिए B.Tech/B.E/DIploma डिप्लोमा है   

अभी हाल ही में 2022 में DRDO के CEPTAM 10 की vacancy आई थी जिसमे Technician-A और STA-B के post थे अब तक drdo के 10 CEPTAM की vacancy आ चुकी है यानि की ITI और B.tech/B.E/Diploma छात्रों के लिए Technical Staff की  अगली vacancy CEPTAM 11 के नाम से आएगी

अब बात करते है  subjects की यानी की ITI और STA-B पद के लिए कौन कौन से subject/ Trade / stream से छात्र apply कर सकते है तो इसमें कुल मिलकर लगभग 20 subject है

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